
Relationships With Their Importance: रिश्तों का महत्व को समझना हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। रिश्ते का क्या महत्व है? किस रिश्ते को ज्यादा महत्व दे? किस रिश्ते में कम ध्यान दे फिर भी चल सकता है, इस तरह के हर सवालों का जवाब आज आपको मिलेगा। एक अच्छे रिश्ते को बनाना और बनाए रखना कठिन है पर अगर आपके पास कुछ अच्छे रिश्ते हैं तो यह आपके लिए अनमोल है। तो चलिए शुरू करते हैं।
Relationships With Their Importance [रिश्तों का महत्व]:
रिश्तों का महत्व अनमोल उपहार के तरह है यानी कुछ अच्छे रिश्ते जगह-जगह पर अपना प्रभाव दिखाती है, यह आपको अकेलापन से बचाता है, आपका कठिन समय में साथ देने का भी काम अक्सर कुछ अच्छे रिश्ते कर जाती है। अब बात रहीं हमें किस रिश्तें की प्राथमिकता ज्यादा देना चाहिए, सबसे पहले तो आपको लगभग हर रिश्ते में बराबर की महत्व देने चाहिए क्योंकि हर रिश्ते की अपनी एक सुन्दरता होती है।
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लेकिन आप फिर भी चाहते हैं कि हर रिश्ते में अधिक प्राथमिकता किसे देनी चाहिए तो हम आपको बताते हैं कि किस रिश्ते को कितना महत्व देना अनिवार्य होना चाहिए। माँ-बाप से शुरू करते हैं और जीवन साथी का महत्व बताते हुए दोस्तों पर विराम करते हैं इस आर्टिकल को।
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माँ-बाप:
माँ-बाप का योगदान हमें पैदा करने मे होता है यानी इन्हीं के बजह से आज हम इस संसार में है। इसलिए इनका महत्व तो सर्वोपरी होना चाहिए। शास्त्रों और ग्रंथों का माने तो अलग-अलग शास्त्रों में अलग-अलग तरह से वर्णन है, तो चलिए उसे भी जान लेते हैं। शास्त्रों और ग्रंथों में माता-पिता का अत्यधिक महत्व बताया गया है। शास्त्रों और ग्रंथों अनुसार, माता-पिता को देवताओं के समान माना गया है, चलिए एक एक कर हर शास्त्रों और ग्रंथों को समझते हैं।
- वेदों में: वेदों में माता-पिता को प्रथम पूजनीय माना गया है। ऋग्वेद में कहा गया है, “माता भूमिः, पिता व्यासम्” अर्थात माता पृथ्वी के समान सहनशील होती है और पिता आकाश के समान विशाल होता है।
- महाभारत में: महाभारत के अनुसार माता-पिता की सेवा और सम्मान करने से ही मनुष्य को जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। शांति पर्व में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता की सेवा करता है, वह अपने सभी कर्तव्यों का पालन करता है।
- रामायण में: रामायण में भी माता-पिता के प्रति सम्मान और भक्ति का उदाहरण मिलता है। भगवान राम ने अपने पिता की आज्ञा मानकर वनवास स्वीकार किया, जो एक आदर्श पुत्र का सबसे बड़ा उदाहरण है।
- पुराणों में: गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने माता-पिता की सेवा नहीं करता, वह धर्म और मोक्ष का पात्र नहीं होता यानी इनका सेवा हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए।
- भगवद गीता में: भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि माता-पिता के चरणों में स्वर्ग का वास होता है। माता-पिता की सेवा करने से सभी गुण प्राप्त होते हैं।
इन सभी शास्त्रों में माता-पिता को सर्वोच्च स्थान दिया गया है और उन्हें सबसे अधिक पूजनीय माना गया है। उनके प्रति सम्मान और सेवा को धार्मिक, नैतिक और सामाजिक कर्तव्य के रूप में देखा जाता है।
भाई-बहन:
यह हमारे माँ बाप के बाद ऐसा रिश्ता है, जिसका महत्व हम शब्दों में व्या नहीं कर पाते हैं। इसका सबसे पहला कारण की यह खून का रिश्ता होता है और बचपन की सभी यादें इनसे जुड़े होते हैं। इस रिश्ते की अपने ही महत्व है, जैसे साथ देने की बात करे तो माँ बाप के बाद यही एक रिश्ता है, जो इस कलयुग में भी 90 से 95% चांस रखता है हमेशा साथ देने की।
प्यार भाई-भाई, बहन-भाई या बहन-बहन के बीच चाहे कितना भी लड़ाई हुई हो, खास ही रहता है। कई बार दूसरों के कारण इन रिश्तों में दरार आ जाती है और इस रिश्तों का महत्व धीरे-धीरे कम हो जाती है। जबकि आपको कभी भी इस रिश्ते को खराब नहीं होने देना चाहिए, उसके लिए आपको हमेशा खुल कर बात करना चाहिए और किसी दूसरे तीसरे इंसान के लिए, इस रिश्ते को खराब नहीं करना चाहिए।
जीवन साथी की महत्व:
जीवन साथी एक महत्वपूर्ण व्यापक और गहरा संबंध है। जीवन साथी हमे शादी के बंधन में जुड़ने के बाद मिलते हैं, यह सहयोग और समर्थन, भावनात्मक संबल और विश्वास तथा सुरक्षा जैसी अनमोल चीजे से सार्थक बनाता है। जीवन साथी के साथ आप एक परिवार की नींव रखते हैं, जिससे आप दोनों के जीवन में स्थायित्व और संतोष आता है।
एक अच्छे परिवार की नींव के लिए आपको अपनी जीवन साथी की जरूरत होती है। जीवन भर के लिए एक अच्छा जीवन साथी का होना आवश्यक होता है, इस रिश्तों का महत्व बहुत ही अनोखी होती है, जो आज का यह मॉडर्न युग यानी कलयुग के लोग ज्यादा मानने को तैयार नहीं होता है। लेकिन सच्चाई है कि आपको बेहतर जीवन के लिए अच्छे जीवन साथी की आवश्यकताएं होती है।
दोस्तो की महत्व:
जीवन में दोस्तों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। वे हमारी खुशियों में शामिल होते हैं, मुश्किल समय में हमारे साथ खड़े होते हैं और हमें मानसिक और भावनात्मक सहारा देते हैं। दोस्तों के बिना जीवन अधूरा और नीरस हो सकता है। अच्छे दोस्त न केवल हमारा आत्मविश्वास बढ़ाते हैं बल्कि हमारे जीवन को खुशहाल और समृद्ध भी बनाते हैं। उनके साथ बिताए गए पल यादगार होते हैं और जीवन की चुनौतियों का सामना करना आसान हो जाता है।
आज के समय में दोस्ती में गद्दारी ज्यादा हो जाती है, हालांकि यह तो इस कलयुग की प्रसाद है, नहीं भगवान श्रीकृष्ण जी ने अपने दोस्त को तीनों लोक देने के लिए तैयार हो गए थे। दोस्ती में यह देखना अति आवश्यक है कि आपका दोस्ती दुश्मनी में ना बदले क्योंकि सालो से यह कहावत चली आ रही है कि आपका सबसे बड़ा दुश्मन आपका कोई पुराना और गहरा दोस्त ही होता है। दोस्ती बहुत अच्छी है पर उसमे यह भी देखना आवश्यक है कि दोस्ती दोनों तरफ से निभाया जा रहा हो।