ईमानदारी का कदर हर जगह होता है, चाहे वह आपके रिश्ते की बीच की बात हो या व्यवसायिक यानी बिजनेस में हो। खास तौर प्रेम में ईमानदारी का महत्व को अगर आप जानना चाहते हैं तो श्रीमद् भगवद्गीता के अनुसार, इसमे ईमानदारी का बहुत गहरा महत्व है, इसका मुख्य कारण है कि इसको सत्य और शुद्धता के मार्ग पर चलने के रूप में देखा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने प्रेम के विभिन्न रूपों को बताया है, जिनमें से ईमानदारी एक महत्वपूर्ण गुण है। ईमानदारी का मतलब है कि प्रेम सच्चे हृदय से हो, बिना किसी स्वार्थ और धोखे के साथ आप किसी से लगाव और देखभाल रखते और करते हैं।
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प्रेम में ईमानदारी का महत्व
प्रेम में ईमानदारी का महत्व बहुत है चाहे वह आप बात श्रीमद्भागवत गीता का करो या फिर किसी अन्य हिन्दू ग्रंथों का करो, हर जगह इसका स्थान बहुत ऊपर बताया गया है, इसमे निस्वार्थ निष्ठा, विश्वास और ईमानदारी होना ही चाहिए, अन्यथा वह प्रेम नहीं होता है। श्रीगीता में भगवान ने कहा है प्रेम और मोह दोनों अलग-अलग पक्षों से वास्ता रखता है अर्थात मोह में छल-कपट और कई अन्य हथकंडे अपनाए जाते हैं, उसे प्राप्त करने के लिए और वही दूसरी तरफ प्रेम में ना किसी प्रकार के छल किया जाता है, ना ही कोई कपट, ना कोई धोखाधड़ी, और ना ही जबरदस्ती किया जाता है।
यह एक अनमोल उपहार और भाव है जो बिना किसी स्वार्थ और लालच का होता है। कहा जाता है कि प्रेम करना आसान नहीं होता है, प्रेम करना यानी कोई महान यग करने के बराबर है। “प्रेम ही पूजा और प्रेम ही मंदिर है” इस Quotes को अपने बहुत सुना होगा, सदियों से प्रचलित इस वचन का उपयोग हर व्यक्ति कर लेता है, पर उसका पालन करने मे अक्सर लोग असक्षम हो जाता है।
इस कलयुग में प्रेम में ईमानदारी का महत्व
आज कलयुग अपने चरम पर है, यहां लोगों की सोच दिन प्रति दिन बदलता जा रहा है। वैसे तो आज भी कुछ ऐसे लोग इस संसार में हैं जो प्रेम में विश्वास रखते हैं पर ज्यादातर लोग आज सिर्फ मोह में बहुत आगे निकल चुके हैं, जहां से छल, कपट और धोखाधड़ी का शुरूआत होता है। प्रेम का वास्तविक अर्थ आज बदल चुका है, इंसान अपने मोह को ही प्रेम मानता है, जबकि प्रेम में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं होता है।
इसमे किसी प्रकार के लोभ नहीं होता बल्कि प्रेम तो आजादी देता है, भोग बिलास का प्रेम से कोई वास्ता नहीं होता है। यह तो एक मंदिर के तरह ही पवित्र होता है। जिस प्रकार मंदिर को पूजा के लिए उचित स्थान माना जाता है उसी प्रकार प्रेम के लिए, मोह-माया, छल-कपट, लोभ-लालच से हीन आत्मा और भाव रखने वाले लोग के लिए उचित माना गया है।
श्रीमद् भगवद्गीता के अनुसार प्रेम में ईमानदारी का मुख्य संदेश यह है कि:
- निस्वार्थ प्रेम: प्रेम तब ही वास्तविक होता है जब वह बिना किसी स्वार्थ या अपेक्षा के हो। ईमानदार प्रेम में दूसरे व्यक्ति की भलाई और खुशी को सर्वोपरि माना जाता है।
- सच्चाई पर आधारित: श्रीकृष्ण कहते हैं कि प्रेम का आधार सच्चाई होनी चाहिए। अगर प्रेम में छल, धोखा या असत्यता हो, तो वह प्रेम टिकाऊ नहीं होता।
- विश्वास और निष्ठा: प्रेम में ईमानदारी से विश्वास और निष्ठा पैदा होती है। यह संबंध को गहरा और मजबूत बनाती है।
- धर्म का पालन: भगवद्गीता में प्रेम को एक धर्म के रूप में भी देखा गया है, जिसमें व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए प्रेम करना चाहिए। इसमें ईमानदारी का पालन आवश्यक है।
कुल मिलाकर, प्रेम में ईमानदारी का महत्व यानी इसमे ईमानदारी से जीवन के हर रिश्ते में स्थायित्व, सच्चाई और शांति आती है, जो भगवद्गीता के आदर्शों के अनुसार एक उत्तम जीवन की ओर ले जाती है।
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2 Comments
Gjb bhai ????
Bahut Achhe se bataye ho yrr.. great